Screenshot_20250305-191434_Facebook

मुना चौधरी ———————–
देखैले छनगर नैछै
सुरतगर सोहो ने छै
ठुठिबुच्ची छै लेकिन लागल छै खेतमे
बैठल छै बसुवाइरमे
टुकटुक ताकै छै आमगाच्छीमे

धान, गहौम, मरूवा, सन
रहाइर, तिल, रारी खर, गाछ्वृक्ष, बाँस
काटैछै ताब निचका भाग या जैर छोइरके काटैछै
तेकरा कहैछै बुट्टी
लेकिन गाछवृक्ष या बासके बुट्टीके कहै छै बुट्ट ।

वर्षामे पाइनके माइर खाइछै
झाट, बिहाइर सहै छै
ढोङा, पाइनके चोट झेलैछै
टहटह रौद, गुम्सल गुमार
धुइन लागल जार
सैब कथियो सहैछै
लेकिन मोरैले नै दैछै आपन आत्मबल या विश्वास
सैब कथियो सैहके
बुट्ट या बुट्टी जन्माइछै आपन उपरमे
लवका पालुवा
बुट या बुट्टीके उपरमे पलाइछै लवका गाछ
तेकरा कहै छै पेपी ।

अपना मोइरके दैछै बुट्टी पेपीके जीवनदान
प्राकृत प्रकोप सहैले बुटीसे सिखैले परतै
कुरहाइर, हसुवा, खुरपिके माइर सैहके जियैछै फैन
रौद, झाइट बिहाइरके अक्रमण सैहके
फेनसे जिवनके असा नै हारैछै ।

बुट्टी तोहे देखैले निक नै चिहि लेकिन हमरा
तोहरजरे प्रीत लाइग गेलछौ
हमरो सिख्या दे तोहर अशावादी शैली
हमरो बन्या दे तोहे आपने जेखा सहनशिल
हमरा तोहर देखके
जियैके असा पल्याल आइछ
साचे तोहर जरे हमरा प्रीत लाइग गेलआइछ।

जवाफ लेख्नुहोस्

तपाईँको इमेल ठेगाना प्रकाशित गरिने छैन। अनिवार्य फिल्डहरूमा * चिन्ह लगाइएको छ