

निर्मल चौधरी (असफल यात्री) जानकी गा.पा. ५ अमौरी,कैलाली
लाखौं हजारौं मनसे टुहिन मै छानके लैजिम।
टुहिन अपन दिल के महरानी मानके लैजिम।
महिन हे अत्र हाली कमजोर नि ठन्हो छैली।
टुहिन हे मै सक्हुनके सामनेसे टानके लैजिम।
रुख्वा बरिख्वा साक्षी बा हमार मायाँ प्रेमके।
टुहिन दहितान खेट्वा सारा फानके लैजिम।
पटा बा महिन जिन्दगीक डगर बहुट लम्बा बा।
टु नेङ्गे नि सेक्बो ट अपन पिठी बहानके लैजिम।
छैली टु सिर्फ एकचो महिन हाँ केल कैहदेउ।
मै टुहिन हे अपन छुट्टै संसार ठानके लैजिम।
(गजलकार थारू साहित्यिक आवाज कैलालीका अध्यक्ष हुन।)