ओजरा
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टिकापुर, २३ भदौ । कैलालीके टिकापुर क्षेत्रके थारू साहित्यमे कलम चलैटी रहल युवा साहित्यकारहुकके भेलासे आज ओजरार साहित्यिक मञ्च नाउँक साहित्यिक संस्था कार्यसमिति चयन करले बा।

“थारु साहित्य और गीतबाँस हो पहिचान,यकर अख्वारी कर्ना हमार हो अभियान” कहना मुल नाराके संगे खोलगिलक् मञ्चके समितिमे अध्यक्षमे अंकर अन्जान सहयात्री, उपाध्यक्षमे सन्देश दहित, सचिबमे निर्मल चौधरी “असफल यात्री” कोषाध्यक्षमे तिलक दंगौरा, सहसचिवमे बल राम चौधरी ओ सदस्यमे अनितु चौधरी, सुरेश दुर्भाग्य स्टूडेंट, पूर्णिमा चौधरी, मिथलेश चौधरी, अल्लू अर्जुन, तेकेन्द्र बखरिया, राम चरण चौधरी ओ संजीव बखरिया रहल बटै।

यी एक्ठो बिशुद्ध थारु साहित्यके विकास, संरक्षण ओ संम्वर्धन कर्ना उद्देश्यसेसे खोलगैलक् एक साहित्यिक संस्था हो। जेकर छन्डिक-छन्डिक समकालिन, भावि और दिर्घकालिन योजना,ओस्तहंक यि संस्था थारु साहित्यहे कैसिक आघ बर्हाके लैजिना? यिहिन हे कैसिक आम मनैनके ढक्ढिउरा भिट्टर बसेंरा कराई सेक्ना? एकर संरक्षण संम्वर्धन करेक लाग् का करेक पर्ना ? हमार थारु साहित्य हे नेपाली साहित्यके जस्ते विकास कैसिक् करैना?कहना अस्ते-अस्ते उद्देश्यके परिकल्पना करके यकर स्थापना करगैलक हो, जेकर स्थापना २०७८सालमे हुइलक् हो कना बाट ओजरार साहित्यिक मञ्ज अध्यक्ष अंकर अन्जान सहयात्री जानकारी करैलै ।

थारु जात एक्ठो पिछरल जाती हो! चाहे राजनितिमे कहो चाहे शिक्षा में कहो! या टे हरमेरिक् कामकाजमे कहो! हर ठाउंमे पिछरल बा उहेमारे अब बल्गर हुइक परल, औरे मनैनके जस्ते चलाख हुइक परल कहिके, एक्थो कलमके माध्यमसे हुइले से फे हमार थारु साहित्य हे बल्गर बनाई कहिके सक्कु थारु साहित्यप्रेमीमनहुंक्रे हांठमे हाँठ मिलाके, कन्ढामे कन्ढा ढारके लागल बाट सहयात्री बटैलै ।

पछिल्का समयमे हेर्ना हो कहलेसे थारु गिटसंगिट बहुट आघे बर्हगैलक डेख मिलठ। ढमाढम थारु भिडियो, म्युजिक भिडियो हर अठ्वार निकर्टी रहलमे हमार थारु साहित्य के पर्गा शुन्य देख जाइठ। यिहिसें का पता चलठ कि हमार थारु साहित्य कत्रासम् पाछे परल बा, कत्रासम गोम्हनियाँ करटा कहना बाट पानिम छट्टाइल टेलहस् देख जाइटा, उहमारे यि सबचिजके विकास, संरक्षण और संम्वर्धन के लाग यि संस्था खोलगैलक् हो कना बाट मञ्ज सचिव निर्मल असफल यात्री ठप्लै।

1 thought on “ओजरार साहित्यिक मञ्च नाउँक साहित्यिक संस्थाके कार्यसमिति चयन

  1. बधाई बा सक्कु पदाधिकारी सर मिस हुकन
    बहुत खुशी के खबर आईल जे होस थारु भाषा कला साहित्य संस्कृति के बारेमे कुछ नया ओ पुरान रहन सहनके बारेमे रचना देखे मिली कहिके आशा लेहल बातु।

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