
अंकर अन्जान सहयात्री
‘बर्का बटैया जोट्छस् ?’
“डेबो टो जोटम् नि का मलिक्वा”
“अनि तेरो छोरी कम्हलरिऱ्या दिन्छस् ? लेखाई पढाई दिन्छु”
“टोहाँर छाइहस् टो हो मलिक्वा लैजिहो’
हम्रे टो करिया अक्षर भैंस बराबर कुछ नि जन्ठी”
हो अस्टेक् कर्के मोर बाबा मलिक्वक् गुलाम बनठ
सक्करहिँ से लैके सन्झ्याँसम्
मलिक्वक् आघे-पाछे हाँ हजुर कर्टि कर्टि
उ वैषसे भरल जवानिमें
जिउक् टाटुल खुन जुर करैटि करैटि
आज बाबक् फे जिन्गिक् बटैया होगैल बा
बाबुक् फे जिन्गि बटैया होगैल बा
जौनडिनसे बाबु कम्हलरिया लग्ली
मलिक्वा पर्हैम् लेखैम् कहिके
राटडिन काम कराइठ
मौकक् फाइडा उठाके
बाबुक् इज्जटके बटैया करठ
बिचारी बाबु लाचार होके
अपन इज्जतके बटैया करैटि रठी
चिल्लाउँ कलेसे डुनियाँ बहिर बा
रोउँ कलेसे डुनियाँ आँढर बा
भागुँ कहलेसे गोरम् जंन्जिर बा
काकरेकी
कमैयाँ, कम्हलरिया, भैंसर्वा, बर्डिवा सक्कुहुनके
जिन्गिक् बटैया मलिक्वा कर्ले बा
बर्डिवा डाडु फे लक्का जवान होगैल बा
मलिक्वक् बर्ढा, गैया, भैंस, चरैटि-चरैटि
पेंउडा लगाइल झुल्वा घालके
फाटल-फाटल कट्टु घालके
मलिक्वक् गुलामि कर्टि-कर्टि
डाडुक् फे जिन्गिक् बटैया होगैल बा
आढा जिन्गि खस्कटि रहल बेला
बर्डिवा डाडुक् फे भोज हुइठ
भोजेक् पहिल राट
अपन जिन्गिक् जोर्ह्यासे राट कटाइ फे नैमिल्ठिस्
काकरेकी मलिक्वा अपन बस्टिके
सक्कु चिजके बटैया लगैले बा
बिचारी लौलि भौजिक् फे
इज्जतके बटैया होगैल
टबमारे खबरडार मलिक्वा
अब टोर शाषणके अन्त्य करेक् लाग्
टोर साम्राज्यके लंका जराइक् लाग्
टोर जिन्गिके बढ् करेक् लाग्
हम्रे सक्कु कमैयाँ, कम्हलरिया, बर्डिवा
एकमुट्ठा होगैल बाटि
अब टोर शासण नै चलि
हमार जिन्गिके बटैया हम्रे खुड करब
कमाब, खाब, और आजाड चिरैयाँहस्
खुल्ला बड्रिमें उरब
हाँ खुल्ला बड्रिमें उर