काठमाडौं, ४ कुवाँर । सरकार प्रतिस्थापन बिधेयकमार्फत रासायनिक मल खरिद कैना तीन अर्ब रुपैयाँ बजेट थप करले बा । अर्थमन्त्री जर्नादन शर्मा संसदमे पेश करल अध्यादेश बजेटके प्रतिस्थापन विधेयकमे रासायनिक मल खरिद कैना मन्त्रालयहे तीन अर्ब रुपैयाँ रकम थप करल कृषि तथा पशुपन्छी विकास मन्त्रालय जनैले बा ।
संशोधित बजेटमे तीन अर्ब रुप्या मलके लाग थपल मन्त्रालयके प्रवक्ता प्रकाश सञ्जेल जानकारी डेलै । अघिल्का सरकारसे पेश करल बजेटमे थप हुइना करके उ रकम विनियोजन हुइल उहाँक कहाई बा । बजेट थपसंगे अब रासायनिक मल खरिदके लाग यी वर्ष कुल विनियोजन हुइना रकम १५ अर्ब रुपैयाँ पुगल प्रवक्ता सञ्जेल बटैलै ।
केपी ओली सरकारसे अध्यादेशमार्फत नानल बजेटमे रासायनिक मल खरिदके लाग १२ अर्ब रुपैयाँ विनियोजन करल रहे । १२ अर्ब रुप्यामे अब्बेक बजार मूल्यअनुसार तीन लाख मेट्रिकटन रासायनिक मल खरिद करे सेक्ना कृषि सामग्री कम्पनी लिमिटेड जनैले बा । बढल रकमसे थप एक लाख १५ हजार मेट्रिकटनसे ढेर मल खरिद करे सेक्ना कृषि सामग्री कम्पनीके सूचना अधिकारी राजेन्द्र कार्की बटैलै । यी वर्ष कुल १५ अर्ब बजेटसे सवा चार लाख मेट्रिकटन मल खरिद कैना उहाँ बटैलै । १२ अर्ब रुपैयाँ बराबरके तीन लाख मेट्रिकटन मल खरिदके लाग प्रक्रिया आघे बढसेकल कृषि सामग्री कम्पनी लिमिटेड जनैले बा ।
बाली तथा पशु बिमाके लाग थप ३५ करोड बजेटसे बाली तथा पशु बिमामे अनुदानके आकार बढाइलसंगे ३५ करोड रुपैयाँ अतिरिक्र बजेटफे थप हुइल बा । कृषि बाली तथा पशु बिमाके प्रिमियम अनुदान ५० से बढाके ८० प्रतिशत पुगाइलपाछे थप ३५ करोड बजेट उ शीर्षकमे थप हुइल मन्त्रालय जनैले बा ।
जैविक मल व्यवस्था कैना आग्रह
खेतीपाती कैना याममे रसायनिक मल उपलब्ध कराई नइसेकल सरकारहे अभियन्ताहुक्रे तत्काल समस्या समाधान निम्ति आग्रह करले बटै । तत्कालके लाग रसायनिक ओ दीर्घकालके लाग जैविक मल व्यवस्था कैना खाद्यका लागि कृषि अभियानसे सरकारसंग आग्रह करल हो ।
यी बेला कृषकके लाग कृषि सामग्री, कृषि उपजके उचित मूल्य ओ बजारमे पहुँचके व्यवस्था जैसिन संवैधानिक हकके उपेक्षा करल अभियानके संयोजक उद्धव अधिकारीसे जारी विज्ञप्तिमे उल्लेख बा ।
‘आम किसानके खेतिपातीहे नइहुके नइहुइना मल समेतके उचित बन्दोबस्त हुइल नइहो । उहे बेलासे अभिनसम अभिनसमके सरकार घातक हुइलेसेफे न रसायनिक मलके बन्दोबस्त करे सेक्लेसे न ओकर सेक्ना विकल्प खोज्नओर लग्लै विज्ञप्तिमे लिखल बा, ‘किसान अब्बे यहोर के उहोरके हुइल बटै । जैविक दिशामे जैनाके विकल्प नइहो । यिहे केल दीर्घकालीन समाधान हो ।’
खैना चिजके बन्दोबस्त कैना ओ घरव्यवहारमे समेत अकल्पनीय प्रभाव पर्ना मल समयमे नइपैना बाट कौनो बहानामे क्षम्य नइहुइल ओ यैसिन महत्वपूर्ण सवालमे समेत सम्बन्धित जिम्मेवार संस्था तथा व्यक्ति समयमे चासो नइडेना सरकारके निकम्मापन ओ अक्षमताके परकाष्ठा हुइलफे उ अभियान आरोप लगाइल बा ।
सरकार ओ सरोकारवालासे मलके दीर्घकालीन समाधान खोज्न, रसायन ओ विषादीके दुष्परिणाम घटैटी जैना, माटीमे हुइल जैविक तत्व ओ पोषण बढैना ओर ख्याल कैना आग्रह करल बा ।