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३२ असार हसुलिया। कैलाली, कंचनपुर के किसानहुक्रे जेठ, असार मे बर्खाहि बैठउनी लगा के(धान) लगभग सक्कु जे सेक धर्ले बटै।बैईठउनी सेकल पाछे खास कईके थारु समुदायमे पुर्खासे चल्टि आईल एक रिती हो “हरडहुवा” खैना।गाउँ भरिक किसान हुक्रे जब सक्कुजे बर्खाहि बैठउनी (धान)लगाके सेकल पाछे थारु समाजमे सामुहिकरुपमे हरडहुवा खैना चलन बा।

बर्खाही घामपानी, हिलामाटीक, किंच्चर संगे खेलटी बियार उखर्ना,लगैना काममे ब्यस्त रहलक किसान कैलालीके कैलारी गाउँ
पालिकाके किसानहुक्रे यी समयमे धुमधामके साथ सामुहिक हरडहुवा खैटी बटै। कैलारीके बैजपुर गाउँमे आज(शनिबार)के दिन हरडहुवा मनैटी बटै।

थारुसमाजमे अपन अपन गाउँ भरिक किसान मिलके सुवर, मुर्गीचिंग्ना,मारके खुसियाली मनैठै। बर्खक हरजोट्लक, फर्हवा, कोद्रा खेलैलक खेट्वा सेकल पाछे मजासे पानीसे ढु धाके धर्लक ओर से “हरडहुवा” नाउँ परल हो कना थारु पुर्खा बटैठ।

थारु समुदायमे जकर ज्या विश्लेषण रहले से फेन हरडहुवा बियार, कट्लक, लगैलक हरजोट्लक, फर्हवा खेलैलक सौसेटल, डटकरल हे ठकान मेटाईक लग हरडहुवा मना जाईठ कहिके बैजपुरके भल्मन्सा गणेश चौधरी बटैल।

थारु समाजमे “हरडहुवा “एक टिहुवार जस्टे बनगिल बा । हरडहुवा मे अउरे बेलासे ई दिनमे अलिक धेर सिकार ,मास मच्छी लेल रहठै।अपन संघरिया,बिटिया,नातपाट हुकन पहुनाके रुपमे हरडहुवा खाए बलैल रठै यी दिन जार डारु,निंघार संग सिकारभाट खाके हर्षउल्लासके साथ हरडहुवा मनैठ।कैलालीके कैलारी गाउँ पालिकाके तमना गाउँमे हरडहुवा खासेक्ले बटै।

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