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माेती रत्न

बिक गिलाे टुँ
डिल खाेलके कहटुँ,
बिक गिलाे टुँ।
टर बिन्टी बा!
अपनहे बिकल समान ना साेचाे,
यडि बिकल
जुट्टा रटाे टे
केक्राे गाेरम रटाे,
लुग्गा रटाे टे केक्राे आँगम,
टाेपी रटाे टे केक्राे माठम रटाे,
टर टुँ
अपनह अपनेह बेँच डेलाे
काहेकी
टुँ मन बेँच्लाे,
सिद्धान्त बेँच्लाे,
बनुवा बेँच्लाे,
लडिया बेँच्लाे,
सिमा बेँच्लाे,
हठिया बेँच्लाे,
अपन खैना टठिया टक बेँच्लाे।
टबेमार टुँ आब
अपन मनसे नै बाेल्ठाे,
अपन सिद्धान्त नै जन्ठाे,
अपन देशक सिमक लाग नै लर्ठाे।
काहेकी टुँ
जट्टिक बिक गिलाे।

कैलाली

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